देहरादून-उत्तरकाशी-बागेश्वर मौसम आज 30 अगस्त 2025: ऑरेंज अलर्ट जारी, चमोली-रुद्रप्रयाग-बागेश्वर में बादल फटने से तबाही, 25 सितंबर तक मानसून का खतरा
उत्तराखंड का मौसम हमेशा से अप्रत्याशित रहा है, लेकिन इस बार 30 अगस्त 2025 का दिन राज्य के कई जिलों के लिए भारी संकट लेकर आया। देहरादून, उत्तरकाशी और बागेश्वर में मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और पौड़ी जैसे जिलों में येलो अलर्ट लागू किया गया है। इस मानसून सीजन में राज्य ने पहले ही भारी तबाही देखी है और अब लगातार हो रही बारिश, बादल फटने और भूस्खलन ने हालात और गंभीर बना दिए हैं। पहाड़ी इलाकों में जहां सड़कों और मकानों का अस्तित्व खतरे में है, वहीं मैदानी क्षेत्रों में नाले और नदी-नाले उफान पर हैं। अब तक कई घरों के ध्वस्त होने, लोगों के लापता होने और मौतों की खबरें सामने आ चुकी हैं। इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि किन-किन जिलों में नुकसान हुआ, किस तरह बादल फटने से त्रासदी हुई और कब तक जारी रह सकता है मानसून का यह खतरनाक दौर।
देहरादून, उत्तरकाशी और बागेश्वर में ऑरेंज अलर्ट
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के तीन जिलों—देहरादून, उत्तरकाशी और बागेश्वर के लिए बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब है कि इन जिलों में कहीं-कहीं अत्यधिक बारिश हो सकती है, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ने, भूस्खलन और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होने की संभावना है। पहाड़ी क्षेत्रों के निवासी पहले से ही डर के माहौल में जी रहे हैं क्योंकि पिछले कुछ दिनों से लगातार आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है।
टिहरी, रुद्रप्रयाग और चमोली में येलो अलर्ट
देहरादून, उत्तरकाशी और बागेश्वर के अलावा टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और पौड़ी जैसे जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है। येलो अलर्ट इस बात का संकेत है कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि मौसम की तीव्रता कभी भी बढ़ सकती है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग खासतौर पर प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि भूस्खलन और मलबा उनके घरों और खेतों को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है।
मॉनसून सीजन में अब तक का नुकसान
उत्तराखंड में इस साल का मानसून राज्य के लिए भारी तबाही लेकर आया है। लगातार हो रही बारिश ने न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है बल्कि आर्थिक नुकसान भी पहुंचाया है। कई गांव मलबे में दब गए हैं, सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है। खेतों में मलबा भर जाने से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। इसके अलावा बिजली और पानी की आपूर्ति भी ठप हो गई है क्योंकि बारिश और भूस्खलन से पोल और पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
बादल फटने से हुई तबाही
उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं आम होती जा रही हैं, लेकिन इस बार स्थिति और भी भयावह है। शुक्रवार को चार जगहों पर बादल फटने से भारी तबाही हुई। इन घटनाओं में लोगों की जान गई है, मकान ढह गए हैं और मवेशी मलबे में दब गए हैं। गांव के गांव तबाह हो चुके हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
चमोली में दो मकानों का ध्वस्त होना
चमोली जिले के देवाल विकासखंड के मोपता गांव में बादल फटने की घटना ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। यहां दो मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए। इन मकानों में रह रहे तारा सिंह कुंवर और उनकी पत्नी कमला देवी की मौत हो गई, जबकि दूसरे मकान में बंद 22 से अधिक मवेशी मलबे में दबकर खत्म हो गए। इस हादसे ने गांव के लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है।
रुद्रप्रयाग में 40 मकानों में मलबा घुसा
रुद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार तहसील के गांवों में भीषण तबाही हुई है। आधा दर्जन गांवों में रात को बादल फटने की वजह से 40 मकानों में मलबा घुस गया। इसके अलावा लगभग 1000 नाली कृषि भूमि और तीन वाहन भी बह गए। इस हादसे में आठ लोग लापता हो गए हैं और आशंका जताई जा रही है कि वे मलबे में दब गए हैं। कई मवेशी भी इस आपदा की चपेट में आकर मारे गए हैं।
बागेश्वर और जखोली में तबाही का मंजर
जखोली तहसील के जखोली गांव में भीषण बारिश और बादल फटने से एक भवन की दीवार गिर गई। इस घटना में सरिता देवी पत्नी जसपाल लाल की मौत हो गई। वहीं बागेश्वर जिले के पोंसरी क्षेत्र के साईंजोर तोक में दो मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए। इन मकानों में रह रहे दो भाइयों के परिवार के पांच लोग मलबे में दब गए। SDRF की टीम ने दो महिलाओं के शव बरामद कर लिए हैं, जबकि तीन लोग अभी भी लापता हैं।
मैदानी इलाकों में नाले उफान पर
पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी इलाके भी इस आपदा से अछूते नहीं हैं। नाले और छोटी नदियां उफान पर हैं, जिससे कई जगह जलभराव हो गया है। इससे लोगों को आवाजाही में दिक्कत हो रही है। खटीमा में बिजली गिरने से ठग्गू देवी की मौत हो गई।
मॉनसून की विदाई कब तक?
मौसम विभाग का अनुमान है कि मानसून 15 सितंबर तक जारी रहेगा। हालांकि, सितंबर के आखिरी सप्ताह तक धीरे-धीरे मानसून कमजोर पड़ने लगेगा। आमतौर पर उत्तराखंड से मानसून 25 सितंबर के आसपास विदा होता है। पिछले वर्षों में भी इसकी विदाई अक्टूबर तक खिंच चुकी थी, लेकिन इस बार संभावना है कि यह सितंबर के अंत तक समाप्त हो जाएगा।
निष्कर्ष
उत्तराखंड का मौसम इस समय बेहद खतरनाक मोड़ पर है। लगातार बारिश, बादल फटने और भूस्खलन ने लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। देहरादून, उत्तरकाशी और बागेश्वर जैसे जिलों में ऑरेंज अलर्ट और बाकी जिलों में येलो अलर्ट ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह समय सतर्कता और सावधानी बरतने का है। प्रशासन और SDRF की टीमें लगातार राहत कार्य में लगी हुई हैं, लेकिन जब तक मौसम शांत नहीं होता, तब तक खतरा टलने वाला नहीं है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: 30 अगस्त 2025 को किन जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है?
देहरादून, उत्तरकाशी और बागेश्वर जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
Q2: किन जिलों में येलो अलर्ट लागू है?
टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और पौड़ी जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है।
Q3: बादल फटने की सबसे बड़ी घटनाएं कहां हुईं?
चमोली, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में बादल फटने से सबसे अधिक तबाही हुई है।
Q4: अब तक कितने लोगों की मौत हुई है?
शुक्रवार को आई आपदा में अब तक कम से कम 7 लोगों की मौत हो चुकी है।
Q5: मानसून की विदाई कब तक होगी?
संभावना है कि उत्तराखंड से मानसून 25 सितंबर 2025 तक विदा हो जाएगा।